Bhavan ke Vastu Dosh Nivarn,भवन के वास्तु दोष निवारण
पूर्व में बने भवन में vastu विज्ञानं की जानकारी हो जाने पर भी दोष सुधारना असम्भव लगता है किन्तु ऐसा है नहीं कुछ विषय स्थितियों को छोड़ कर इन दोषों का निराकरण किया जा सकता है जिस प्रकार दोष पूर्ण भूमि का शोधन किया जाता है उसी प्रकार भवन के vastu दोषों को सुधार किया जा सकता है अधिकतर विद्वान् वास्तुविदों द्वारा इन दोषों का विवरण शास्त्रीय परिभाषाओ के अनुसार बताया गया है
द्वार वेध :
द्वार चाहे भूखंड में प्रवेश करने वाला हो चाहे भवन में प्रवेश करने वाला हो या कमरे में प्रवेश करने वाला हो उसके सामने कोई निर्माण नहीं होना चाहिए यदि ऐसा कोई निर्माण होतो तुडवा दे पेड़ होतो समूल खोद कर नष्ट करदे द्वार के उपर पीठ भी नहीं होना चाहिए
भवन वेध :
भवन पर मंदिर मस्जिद ,गिरिजा,जैनस्तुप बोद्ध स्तूप स्तम्भ आदि की छाया नहीं पड़नी चाहिए यदि पड़ रही है तो वेध को हटाना सम्भव नहीं होतो सूर्य की कृत्रिम साधनों से रिप्लेक्ट करवाए आप मिरर लगाकर रौशनी डालकर हटा सकते है
ह्दय वेध :
के ब्रह्मा स्थान में खम्भा ,नलकूप ,चबूतरा आदि का निर्माण नहीं करवाना चाहिए यदि निर्माण किया हुआ होतो उसके लिए दूसरा विकल्प करके तुडवा देना चाहिए
तल वेध :
भवन का फर्श शाश्त्रोक्त न हो एक बराबर दूसरा उपर या निचे होतो उसे तल वेध कहते है जो vastu के अनु रूप नहीं है भवन के सामने जलाशय या कुआ होतो या दुसरे घर का रास्ता होतो और कुआ या जलाशय अगर सडक के बाद होतो vastu दोष नहीं है इसके लिए फर्श ठीक करवा ले
मार्गवेध:
कोण वेध:
तुला वेध :
घर या भवन की छत अगर बिच से उपर उठी हुई हो और 2 साइड में झुकी हुई होतो उसे तुला वेध कहते है इसे भी vastu के जानकार से मिल कर ठीक करवा सकते है यह एक सामान्य प्रक्रिया नहीं है जगह पर नजर डालने के बाद ही बताया जा सकता है इसलिए यह आप vastu विद की सलाह से ही निर्माण में फेर बदल कर सकते है
कपोत प्रवेश वेध :
घर में कबूतर का प्रवेश हो जाये तो अशुभ है प्रवेश का अर्थ या सामयिक प्रवेश नहीं है जैसा की कुछ पंडित बत्ताते है की घर में अगर कबूतर रहने लग जाये तो यह अशुभ होता है इसके लिए सफाई करवाकर हवन -पूजन करवाना चाहिए