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Vastu-Tips Result Of Increased Angles Of Landmass

 Result Of Increased Angles Of Landmass,भुमिखंड़ो के बढे हुए कोणों का फल

 आज भारतीय लोग जो सनातन सस्कृति  में विश्वास रखते है वो अपना घर बनाने से पहले प्लाट की व्यवस्था करनी होती  है और अगर प्लाट सही मिल जाये तो फिर उस पर घर बनाने का plan बनाते है तो plan करने से पहले कुछ बात का ध्यान रखना बहुत जरुरी है इसके लिए आज हम बात करते है बढ़े हुए कोनो से और उससे होने वाला लाभ व् हानि इस पर आप भी ध्यान दे सकते है :-

Vastu-Tips Result Of Increased Angles Of Landmass




  1. ईशान कोण बढ़ा हुआ होतो शुभ होता है इसके साथ ही  वावव्य कोण घटा हुआ हो तभी |यह वंश वृदि करता है और परिवार में शांति  रहती है इस तरह का प्लाट में आप आगे की बढ़ी जगह पर गार्डन बना सकते है 

  2. अगर आपका वाव्यव कोण बढ़ा हुआ यानि उत्तर ओर पच्शिम का वह कोना जो उत्तर की ओर बढ़ा हुआ हो   वावव्यकोण बढ़ा हुआ है और ईशान कोण घटा हुआ है  इस तरह का प्लाट अशुभ होता है यह प्लाट वंश वृदि को अवरोध करता है |सन्तान हीनता व् सन्तान हानि करता है 


 प्लाट का south कोण घटा हुआ और west कोण बढ़ा हुआ होतो यह अशुभ होता है |यह आचार विचार में अति उत्तेजनात्मक भाव को उत्तपन करता है  


 आप चित्र संख्या 4 में देख सकते है यह पर दक्षिण का कोण बढ़ा हुआ है और पश्चिम का कोण घटा हुआ है यह नेरुत कोण का घटना आचार विचार को भ्रष्ट कर देता है 
5 चित्र संख्या 5  दिखया गया है की पश्चिम कोण बढ़ा हुआ तथा उत्तर कोण घटा हुआ होतो यह शुभ होता है इससे पारिवारिक ,सामाजिक स्नेह प्राप्त होता है और मंत्री सबंध प्रगाढ़ होता है 

 उत्तरी -पूर्वी कोण बढ़ा हुआ होतो यह प्लाट अशुभ माना गया है इसमें निवास करने वाले के दुश्मनों की संख्या बढ़ता है और व्यर्थ का संघर्ष करवाता है 
 
 ईशान कोण बढ़ा हुआ और अग्नि कोण घटा हुआ है यह शुभ होता है इस भूमि पर वास करने वाले का स्वास्थ्य उत्तम रहता है और अग्नि संबधित घटना से बचाव करता है 8 चित्र संख्या 8 में दिखाया गया है की अग्नि कोण बढ़ा हुआ है इस तरह की भूमि अशुभ होती है यह पर निवास करने वाले को स्वास्थ्य हानि करता है और और अग्नि दुर्ग्तना को आमंत्रित करता है 

specific-विशेष 

यदि हम कोनो के घटाव बढ़ाव को देखेंगे तो हमें पता चलता है की एक कोण घटता है तो दूसरा कोण बढ़ता है और जैसे ही यह बढ़ता या घटता है तो इसके शुभासुभ फल भी बदलते है ओर्य्ही स्थिति यह पर भी है एक कोना घट रहा है तो दूसरा बढ़ रहा है यहा पर समझने के लिए थोड़ा विचार करना पड़ेगा इसके लिए अगर समझने में दिक्कत होतो किसी vaastu विद की सलाह ले  सकते है 
from a slope point of view-ढाल की दृष्टि से :-

वास्तुशास्त्र में ढाल की दृष्टि से भूमि को मुख्य रूप से चार भागो में विभक्त किया गया है :-

  1. कुर्म पृष्ठ  भूमि 
  2. गज पृष्ठ  भूमि 
  3. दैत्य पृष्ठ भूमि 
  4. नाग पृष्ठ भूमि 
 

यह चार प्रकार की भूमि होती है और इस भूमि की विशेषता व् लाभ हानि की चर्चा करेंगे 

( 1 ) Kurma Background-कूर्म पृष्ठ भूमि:-

मध्य में ऊँची और चारो तरफ के नीची  भूमि यानि कछुए की पीठ की तरह जो भूमि होती है उसे कुर्म पृष्ठ भूमि   कहते है इस भूमि में निवास करने वाले के लिए यह भूमि सुख समृधी उल्लास अर्थ वृद्धि बल वृद्धि देने वाली होती ही कहने का मतलब यह भूमी शुभ होती है 

( 2 ) Elephant Background- ( Gaj Prishth Bhumi) गज  पृष्ठ भूमि:- 

जिस भूमि के चारो कोण उठे हुए हो उसे गज पृष्ठ भूमि कहते है यह भूमि आयु एश्वर्य प्रभाव ,प्रतिभा ,धन आदि की वृद्धि करती है  

( 3 ) Monster Background( Daity Prishth Bhumi) दैत्य पृष्ठ भूमि :-

जो भूमि पश्चिम में नीची और पूर्व में सभी जगह ऊँची हो यह भूमि दैत्य पृष्ठ भूमि कहलाती है यह भूमि धन संतान पालतू पछुओ आदि की हानि करती है 

( 4 ) Snake Background ( Nag Prishth Bhumi ) नाग पृष्ठ भूमि :-

पूर्व पश्चिम में लम्बी मध्य में नीची एवं उत्तर दक्षिण में ऊँची भूमि ''नाग पृष्ठ भूमि '' कहलाती है यह भूमि स्वास्थ्य मैत्री सम्बन्ध  सुख आदिकी हानि करती है इसतरह की भूमि अगर है तो vastu के जानकार से सलाह लेकर के भूमि को सहिकियाजा सकता है यह भावना बनाने की प्रक्रिया से पहले का कार्य है 
प्राचीन कालीन वास्तुशाश्त्र में  उपयुक्त चार प्रकार की  ढाल वाली भूमि  का ही वर्णन  मिलता है यहा वैदिक संस्कृति  के चारों  वर्णों के आवास हेतु  विचार किया गया है |किन्तु बादमे अनेक भारतीय वास्तुशास्त्रियो ने अपने अपने अनुसन्धान  किये है और अनेक प्रकार के ढालों  के शुभाशुभ  का विचार किया है  जो इस प्रकार है

( 1 ) गोविथी

पूर्व-नीचा,पश्चिम -ऊँचा 
प्रभाव -वंश वृद्धि 

( 2 ) जलविथी

पूर्व- ऊँचा -पश्चिम- नीचा 
प्रभाव -वश-हानि,पशु- हानि 

( 3 ) यम वीथी 

उत्तर -ऊँचा ,दक्षिण -नीचा 
प्रभाव -स्वास्थ्य -हानि 

( 4 ) गण वीथी 

उत्तर नीचा-दक्षिण-- ऊँचा 
प्रभाव स्वास्थ्य एवं शक्ति की प्राप्ति 

( 5 ) भुत वीथी 

ईशान कोण- ऊँचा -नेरुत कोण- नीचा 
प्रभाव -दुःख शोक चिंता 

( 6 ) नाग वीथी 

अग्नि कोण- ऊँचा,वावव्य कोण- नीचा
प्रभाव धन एवं शत्रु वृद्धि 

( 7 ) वेस्वानर वीथी 

वावव्य कोण -ऊँचा -अग्नि,कोण- नीचा
प्रभाव -धन -हानि 

( 8 ) धन वीथी 

ईशान कोण नीचा,नरुत कोण- ऊँचा 
प्रभाव -धन वृद्धि 

( 9 ) पितृ वीथी 

 आग्नेये कोण  एवं पश्चिम का- ऊँचा 
वावव्य कोण एवं पश्चिम का  मध्य -नीचा
प्रभाव -सुख वृद्धि 

(10) सुपथ वीथी

आग्नेये कोण  और दक्षिण का मध्य -ऊँचा 
वावव्य कोण और उत्तर का- नीचा
प्रभाव-सभी प्रकार के सुमति देने वाले 

( 11 )  आयु वीथी 

ईशान कोण और उत्तर का मध्य- नीचा 
नैरूत्व कोण एवं दक्षिण का मध्य- नीचा 
प्रभाव -आयु सुख एवं वंश को लाभ 

 ( 12 ) पुण्यक भूमि 

ईशान कोण एवं पूर्व का  मध्य भाग -नीचा 
नेरुत्व कोण एवं पश्चिम का मध्य भाग- ऊँचा 
प्रभाव -सुविचार  ज्ञान ,सुख प्रदान करने वाली  

( 13 ) अपथ वीथी 

अग्नी कोण एवं पूर्व का  मध्य का- नीचा
वावव्य कोण एवं पश्चिम का मध्य -ऊँचा 
प्रभाव -स्वास्थ्य हानि

( 14 ) रुग्न वीथी 

आग्नेय  कोण तथा दक्षिण का मध्य- नीचा
वावव्य कोण एवं उत्तर का मध्य- ऊँचा  
 प्रभाव -स्वास्थ्य हानि 

( 15 ) अर्गल भूमि 

नैरूत्व कोण तथा दक्षिण  का मध्य -नीचा
ईशान कोण एवं उत्तर का मध्य -ऊँचा 
प्रभाव- पापनाशक 

 ( 16 ) श्मसान वास्तु

ईशान कोण एवं पश्चिम का मध्य ऊँचा 
नैरूत्व कोण एवं पश्चिम का मध्य नीचा 
प्रभाव -कूल -नाश , जीवन- नाश 

( 17 ) श्येनक भूमि 

आग्नेय कोण -नीचा 
शेष तीनो कोण -ऊँचे
प्रभाव -कुल-नाश 

( 18 ) स्वमुख भूमि 

नैरूत्व कोण नीचा
 शेष तीनो कोण ऊँचा 
प्रभाव-धननाश

( 19 ) ब्रह्म भूमि 

वावव्य कोण -नीचा
शेष  तीनो कोण ऊँचें
प्रभाव -अनिष्टकारी  

( 20 ) स्थावर भूमि 

आग्नेय कोण -उंचा 
शेष तीनो कोण नीचा
प्रभाव-अशुभ्कारी  

(  21 ) स्थंडिल भूमि 

नैरूत्व कोण ऊँचा 
शेष कोण निचे 
प्रभाव -शुभकारी

( 22 ) शांदुल भूमि 

ईशान कोण-ऊँचा 
शेष कोण नीचा
प्रभाव-अशुभकारी

( 23 ) सुस्थान भूमि 

नैरूत्व कोण एवं ईशान कोण -ऊँचे 
शेष दोनों कोण निचे 

( 24 ) सुतल भूमि 

पूर्व नीचा 
पश्चिम -ऊँचा
नेरुत्व कोण एवं वावव्य-ऊँचे 
प्रभाव - शुभ,तेज,ओज एवं प्रक्रम की वृद्धि 

( 25 )वैश्य भूमि 

उत्तर ईशान एवं वावव्य कोण- ऊँचे
दक्षिण नीचा 
प्रभाव -धन,व्यापार एवं  प्रभाव वृद्धि 

किसी भी तरह की भूमि के कोनो के बढ़े होने पर आपको जानकारी  चाहिए तो आप हमे मेल करके जानकारी ले सकते है 

disclamer -यह जानकारी हमने विभिन्न स्रोत से अर्जित की गई है विश्वकर्मा पुराण  व कथा  कहानी  इसलिए पाठक से निवेदन है अधिक व सटीक जानकारी के लिए किसी वास्तु सलाहकार से सलाह ले home basic इस जानकारी की सटीकता की पुष्टि नहीं करता है 

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