Result Of Increased Angles Of Landmass,भुमिखंड़ो के बढे हुए कोणों का फल
आज भारतीय लोग जो सनातन सस्कृति में विश्वास रखते है वो अपना घर बनाने से पहले प्लाट की व्यवस्था करनी होती है और अगर प्लाट सही मिल जाये तो फिर उस पर घर बनाने का plan बनाते है तो plan करने से पहले कुछ बात का ध्यान रखना बहुत जरुरी है इसके लिए आज हम बात करते है बढ़े हुए कोनो से और उससे होने वाला लाभ व् हानि इस पर आप भी ध्यान दे सकते है :-
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प्लाट का south कोण घटा हुआ और west कोण बढ़ा हुआ होतो यह अशुभ होता है |यह आचार विचार में अति उत्तेजनात्मक भाव को उत्तपन करता है |
5 चित्र संख्या 5 दिखया गया है की पश्चिम कोण बढ़ा हुआ तथा उत्तर कोण घटा हुआ होतो यह शुभ होता है इससे पारिवारिक ,सामाजिक स्नेह प्राप्त होता है और मंत्री सबंध प्रगाढ़ होता है
उत्तरी -पूर्वी कोण बढ़ा हुआ होतो यह प्लाट अशुभ माना गया है इसमें निवास करने वाले के दुश्मनों की संख्या बढ़ता है और व्यर्थ का संघर्ष करवाता है |
specific-विशेष
यदि हम कोनो के घटाव बढ़ाव को देखेंगे तो हमें पता चलता है की एक कोण घटता है तो दूसरा कोण बढ़ता है और जैसे ही यह बढ़ता या घटता है तो इसके शुभासुभ फल भी बदलते है ओर्य्ही स्थिति यह पर भी है एक कोना घट रहा है तो दूसरा बढ़ रहा है यहा पर समझने के लिए थोड़ा विचार करना पड़ेगा इसके लिए अगर समझने में दिक्कत होतो किसी vaastu विद की सलाह ले सकते हैवास्तुशास्त्र में ढाल की दृष्टि से भूमि को मुख्य रूप से चार भागो में विभक्त किया गया है :-
- कुर्म पृष्ठ भूमि
- गज पृष्ठ भूमि
- दैत्य पृष्ठ भूमि
- नाग पृष्ठ भूमि
यह चार प्रकार की भूमि होती है और इस भूमि की विशेषता व् लाभ हानि की चर्चा करेंगे ( 1 ) Kurma Background-कूर्म पृष्ठ भूमि:-
( 2 ) Elephant Background- ( Gaj Prishth Bhumi) गज पृष्ठ भूमि:-
जिस भूमि के चारो कोण उठे हुए हो उसे गज पृष्ठ भूमि कहते है यह भूमि आयु एश्वर्य प्रभाव ,प्रतिभा ,धन आदि की वृद्धि करती है
( 3 ) Monster Background( Daity Prishth Bhumi) दैत्य पृष्ठ भूमि :-जो भूमि पश्चिम में नीची और पूर्व में सभी जगह ऊँची हो यह भूमि दैत्य पृष्ठ भूमि कहलाती है यह भूमि धन संतान पालतू पछुओ आदि की हानि करती है
( 4 ) Snake Background ( Nag Prishth Bhumi ) नाग पृष्ठ भूमि :-
( 1 ) गोविथी
पूर्व-नीचा,पश्चिम -ऊँचा
प्रभाव -वंश वृद्धि
( 2 ) जलविथी
( 3 ) यम वीथी
( 4 ) गण वीथी
( 5 ) भुत वीथी
( 6 ) नाग वीथी
( 7 ) वेस्वानर वीथी
( 8 ) धन वीथी
( 9 ) पितृ वीथी
(10) सुपथ वीथी
( 11 ) आयु वीथी
( 12 ) पुण्यक भूमि
( 13 ) अपथ वीथी
( 14 ) रुग्न वीथी
( 15 ) अर्गल भूमि
( 16 ) श्मसान वास्तु
( 17 ) श्येनक भूमि
( 18 ) स्वमुख भूमि
( 19 ) ब्रह्म भूमि
( 20 ) स्थावर भूमि
( 21 ) स्थंडिल भूमि
( 22 ) शांदुल भूमि
( 23 ) सुस्थान भूमि
( 24 ) सुतल भूमि
( 25 )वैश्य भूमि
किसी भी तरह की भूमि के कोनो के बढ़े होने पर आपको जानकारी चाहिए तो आप हमे मेल करके जानकारी ले सकते है
disclamer -यह जानकारी हमने विभिन्न स्रोत से अर्जित की गई है विश्वकर्मा पुराण व कथा कहानी इसलिए पाठक से निवेदन है अधिक व सटीक जानकारी के लिए किसी वास्तु सलाहकार से सलाह ले home basic इस जानकारी की सटीकता की पुष्टि नहीं करता है