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Vastu Tips- Condition of all Parts of the Building

 Vastu Tips- Condition of all Parts of the Building,भवन  के सभी अंगो  की स्थिति 


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भारतीय vastu शास्त्र में  भवन के प्रत्येक  अंगो की स्थिति  निश्चित है इस सम्बन्ध में  कुछ निर्देश दिए गये है 

भवन:- Home 

    1. उपरी मंजिल की ऊंचाई  निचे के भवन से 6'' कम होनी चाहिए 
    2. भवन का ढाल उत्तर -पूर्व में होना चाहिए 
    3. भवन के चारो और चारदीवारी के बिच में कम से कम चार फिट चौड़ी भूमि छोडनी चाहिए 
    4. इशान कोण की और निर्माण हल्का होना चाहिए 
    5. भवन के कोण  vastu नियम के  अनुसार होने चाहिए 
    6. उत्तर पूर्व की और खुला स्थान सबसे ज्यादा रखना चाहिए
प्रवेशद्वार:-Main Entri

प्रवेशद्वार  को vastu के नियम के अनुसार ही होना चाहिए 

    1. मुख्य प्रवेशद्वार 5 फिट चौड़ा 8 फिट ऊँचा होना चाहिए 
    2. भवन के उत्तर पूर्व में दो प्रवेश द्वार बनाना चाहिए 
    3. प्रवेशद्वार से हाल या  मुख्य आंगन नहीं दिखना चाहिए 

Bedroom- कक्ष 

    1. अपने bedroom के दरवाजा vastu के अनुचार होने चाहिए यहाँ चित्र में दिखाया गया है 
    2. कमरे की खिडकिया पूर्वी ,उत्तरी एवम पश्चिम  दीवारों पर बनाये 
    3. दरवाजे की ऊंचाई व् चोड़ाई 7 फिट 3.5 फिट की होनी चाहिए 
    4. कमरे की साइज़ वर्गाकार या आयताकार होनी चाहिए 
    5. छत मजबूत बनाए और कमरे में बिम्ब  बिच में कही नहीं होना चाहिए बिम्ब के निचे नही बेठना चाहिए न भोजन करना चाहिए नहीं शयन करना चाहिए 
    6. कमरे की ऊंचाई 11 फिट होनी चाहिए और व्यवसायिक कामो के लिए और ऊँचा करना चहिये 
    7. कमरे की दीवारे सीधी होनी चाहिए प्लास्टर भी सम और सीधा होना चाहिए 
    8. कमरे की छत में या हॉल में अगर बिम्ब दे रहे है तो उत्तर दक्षिण में नहीं लगाये आजकल ये लोहे की छड़ो से बनता है और उत्तर दक्षिण में ज्यादा समय रहने से चुम्बक बन जाती है 
    9. खिड़की कमरे में 3 फिट ऊँची रखे और खिड़की 4 फिट ऊँची होनी चाहिए

Hall- आंगन 

आज कल खुले हुए आंगन  नहीं बनाये जाते है | तर्क यह है की इससे चोर आदि का खतरा रहता है | यह सही भी है ,किन्तु इसके अन्य उपाय भी किये जा सकते है | भारतीय ऋषि  मुनियोने  ब्रह्मस्थान को खुला छोड़ने का निर्देश दिया है | इस स्थान विशेष की  सीमा का भी  रेखांकन किया गया है इस जगह पर कोई निर्माण करना वर्जित है 

भूमि का ब्रह्म स्थान  का निर्धारण सूर्य ,चन्द्र  एवं भूमि के केन्द्रीय बल को ध्यान में रख क्र किया गया ह|जितना आवश्यक हमारे लिए हवा,जल,भूमि,भोजन है उतना ही आवश्यक आकाश तत्व है |आकाश तत्व आकाश से  विकसित होता है | यह तत्व सूर्य,चन्द्र एवं तारो  की रश्मियों  तथा वातावरण की उर्जा किरणों के रूप में यहा  गिरते रहते है यदि यह बाधित हो गया तो आप जीवनी शक्ति का अभाव महसूस करेंगे  अत: यह स्थान खुला छोड़े यह एक मंजिला घर में तो सम्भव है लेकिन बहु मंजिला घर में नहीं है फिर भी बहुत लोग यह खुला स्थान छोड़ते है 

Dining-डाइनिंग हॉल 

प्राचीन काल में भोजन  रसोईघर में बनाया जाता था और रसोईघर के बाहर भोजनालय होता था जिसका आज dining hall नाम  से जाना जाता है 

Kitchen-रसोईघर

रसोईघर हमेशा आग्नेय कोण में ही  होना चाहिए  रसोईघर पूर्व एवम पश्चिम में भी बनाया जा सकता है लेकिन कुछ गणना करनी पडती है उस गणना के अनुसार बना सकते है 

Electric point- बिजलीघर

बिजली के मीटर, फियुज बॉक्स  main स्विच  आग्नेय कोण में ही होना  चाहिए इसे रसोईघर के पास छोटा सा बॉक्स में लगा सकते है 

 Store room  भंडार गृह:-

इसे स्टोर भी कहते है यह आग्नेय कोण के मध्य पूर्वी दिवार के सहारे या उत्तर दिशा या इशान कोण  के मध्य उत्तर दिवार के सहारे बनाना चाहिए एकदम ईशान कोण में नहीं बनावे 

Draingroom:-ड्राइंग रूम 

आजकल बहुत सारे लोग  ड्राइंग रूम सेंट्रल होल में लगवा देते है यदि सेंट्रल हॉल ब्रह्म स्थान में है तो यह बहुत शुभ है यह वाव्यव या इशान कोण के मध्य होना भी शुभ है 

Bathroom/To-let स्नानघर /शोचालय

  1. स्नानघर नेरुत्व एवं दक्षिण के मध्य  या पश्चिम के मध्य बनाया जा सकता है किन्तु शोचालय के लिए गड्डा नहीं खोदे इसके लिए टेंक तो नेरुत कोण में कदापि नहीं बनावे 
  2. ठीक ईशान कोण में बना शोचालय  हानिकारक होता है 
  3. उत्तर पूर्व में भी bathroom बना सकते है लेकिन vastu की कुछ गणना करके बना सकते है 

Guest room: मेहमान कक्ष 

गेस्ट रूम उत्तर या पश्चिम में बनाया जा सकता है ,गेस्ट रूम वाव्यय कोण में भी बनाया जा सकता है 

Garage कर पार्किग

गेराज भवन के दक्षिण पूर्व या उत्तर पश्चिम कोण में दिशा (वाव्यव ,आग्नेय )में बनाना चाहिए और गेराज का इशान कोण खाली रखना चाहिए | ईशान कोण में गेराज कदापि नहीं बनाये 

Basemant- तहखाना

 प्राचीन vastu शास्त्र में तहखाना का निर्माण अच्छा नहीं समझा जाता है |यदि बनवाना जरुरी होतो पूर्व या उत्तर की और बनवाए और वह भी भवन के निर्माण के एरिया के चौथा भाग में ही बनवाए

तहखाना में vastu शास्त्र के अनुसार विलक्षण चुम्बकीय  प्रभाव उत्पन्न होता है और यह रहस्यमय भाव को जन्म देता है |इसलिए ऐसा निर्माण प्राचीनकाल में वाममार्गी साधक या तंत्रमार्गी क्रिया  करते थे सम्पूर्ण भवन में तहखाना कभी नहीं बनाये इस से  हानि होगी 

Stair सिढीया

  1. सिढीया  भवन के पार्श्व में दक्षिण या पश्चिम में दाई और बनवानी चाहिए 
  2. सीढीया का द्वार पूर्व या दक्षिण की और रखे 
  3. सिढीया का घुमाव बाये से दांये  होना चाहिए 
  4. सिढीया की संख्या  18 भी रखा सकते है कही कही 19, या 21 भी शास्त्रों में है 
  5. सिढीया के उपर व् निचे दरवाजा लगाये उपर का दरवाजा नीचे के दरवाजे से 1 इंच छोटा हो 

Servant room नोकर कक्ष 

दक्षिण पूर्व या उत्तर पूर्व में बनाया गया  सेवक कक्ष शुभ होता है |परन्तु इशान कोण को बाधित नहीं करे उत्तर की तरफ से पूर्व की और झुका हुआ हो 

Balcony- बालकोनी

बालकोनी ईशान कोण वाव्यव कोण ईशान कोण के उत्तर की और या अग्नि कोण पर उत्तर की और या आग्नेय कोण  के दक्षिण की और  बनवानी चाहिए 

Porch -बरामदा 

भवन में आजकल आंगन नहीं छोड़ा जाता है अत: बरामदे का प्रचलन भी खत्म गया है यदि इसे बनवाना हो तो वाव्यव कोण या ईशान कोण को चूता हुआ बनवाए 

  • भवन निर्माण में कुछ बाते है जो ध्यान देने की जरूरत है
  •  टी० वी० अन्टेना आग्नेय कोण में लगाये तड़ित प्रचालक भी अग्नि कोण में ही लगाये
  •  भवन में एक से ज्यादा प्रवेशद्वार हो तो आमने सामने नहीं होना चाहिए घर में शीशम सागवान साल  सखुआ चंदन अशोक महुआ  नीम अर्जुन लोध  खेर  नागकेशर विजयसार  सिन्धुक आदि लकडियो का उपयोग करे आम के लकड़ी का भी प्रयोग  कर सकते है लेकिन घर के लिए शुभ नहीं है आम की लकड़ी
  •  बरगद पीपल पाकड़  गुलर कंटक  कैथ जामुन युकिल्पट्स आदि की लकड़ी नहीं लगाये
  •  शयन के समय सिहराना दक्षिण की और रखे बैठे तो मुह उत्तर की और रहे 
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