Vastu Tips -Construction of House in East Facing Plot,वास्तु टिप्स -पूर्वोन्मुख भूखण्ड में घर का निर्माण
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East Facing पूर्वोन्मुख भवन प्लान |
Construction of House in East Facing Plot पूर्वोन्मुख भूखण्ड
यदि भवन को दो मंजिला या इससे ज्यादा मंझिला बनाना होतो प्रत्येक मंजिल में पूर्व-एवं उत्तर का स्थान रिक्त छोड़ा जाना चाहिए | यदि सम्पूर्ण भवन पर ही निर्माण किया जाना है,तो उत्तर -पूर्वी भाग में कम से कम दो तीन फुट की बालकोनी जरुर बनवानी चाहिए | इससे हर मंजिल का भाग रिक्त माना जाएगा सबसे उपरी मंजिल का निर्माण दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में ही करे |
भवन के प्रयोग किये गये जल का निकास पूर्व दिशा में होने से भवन में निवास पुरुषो का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा |
भवन का पूर्वी भाग पश्चिम एवं दक्षिणी भाग से जितना निचा होगा उतनी ही भवन स्वामी के यश मान एवं प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी
भूखंड में कूप अथवा नलकूप पूर्वी इशान कोण में होना शुभ फल प्रदान करता है
भूखण्ड एवं मुख्य भवन के मध्य पूर्वी भाग अन्य दिशाओ में स्थित भागो की अपेक्षा ज्यादा रिक्त होना चाहिए |यह धन एवं वंश -वृद्धि के साथ पुत्र के लिए विकाश का मार्ग परस्त करता है
- यदि भूखण्ड के दक्षिण अथवा पश्चिम दिशा में स्थित भुकंद पर निर्माण कार्य चार चारदीवारी से मिला हुआ होता है तो यह शुभफलदायक होता है
- यदि भूखंड के उत्तर दिशा में स्थित भूखंड पर निर्माण कार्य उत्तरी चारदीवारी से मिला हुआ होता है तो भूखंड में उत्तर दिशा की और की चारदिवारी से लगभग तीन चार इंच छोड़ कर तीन चार इंच उची दिवार जरुर बनाये
- भवन के पूर्व दिशा में बनाया गया बरामदा या porch की पूर्व दिशा की और झुकि हुई होनी चाहिए ,इससे भवन में निवास करने वाले पुरुषो को स्वास्थ्य एवं यश-वृद्धि होती है
- भूखंड का ढलान पूर्व एवं उत्तर दिशा की और होना चाहिए, यदि आपने प्लाट खरीदा उस समय ऐसा नहीं है तो निर्माण से पहले यह करना बहुत जरिरी है इससे शांति एवं सोभाग्य की प्राप्ति होती है
- भवन की चारदिवारी बनाते समय पूर्व एवं उत्तर की और की दिवार दक्षिण पश्चिम दिवार से दो तीन ईट निचे होनी चाहिए है|
If The Following Vaastu Defect Remain In The East Facing Plot Due To Not Implementing The Vaastu Principles The Inauspicious Results And The Remidies To Prevent This Vaastu Defects Are As Follows
पूर्वोन्मुख भूखंड में यदि vastu सिद्धांतो को व्यवहार में न लाकर निम्न vastu दोष रह जाने पर प्राप्त होने वाले अशुभ फल एवं इन vastu दोषों के निवारण का उपाय निम्नानुसार है
- पूर्वी भाग में कूड़ा कचरा पत्थर आदि का ढेर होतो धन व् सन्तान की हनी होती है
- यदि सम्भव होतो पूर्वी ईशान कोण में एक अन्य दरवाजा उसका प्रयोग अगर वर्तमान दरवाजा पूर्वी अग्नी कोण की तरफ होतो पूर्वी ईशान का ज्यादा प्रयोग करे और पूर्वी अग्नि कोण का दरवाजा हमेशा बंद ही रखे
- उपरोक्त दोनों उपायों के साथ भवन में दक्षिण -पश्चिम भाग में ठोस वस्तुए एवं पूर्वी-उत्तरी भाग में पोली वस्तुए रखे
- अच्छा यही रहेगा की भवन के चारदिवारी बनाई जाये |
- चारदीवारी बनांये बिना भवन निर्माण करने से अथवा भवन के उत्तरी एवं पूर्वी भाग में रिक्त स्थान छोड़े बिना निर्माण कार्य कराने पर या तो पुरुष संतान की कमी अथवा सन्तान होने पर विकलांग होगी
- दरवाजे पर बाहर की और सूर्य का चित्र लगाये
- भवन का मुख्यद्वार पूर्वी आग्नेये में होने की दशा में भवन स्वामी कर्जदार हो जाता है साथ ही मुकदमेबाजी चोरी एवं आग से हनी होने का डर रहता है
- दरवाजे पर लाल रंग का कलर करें या लाल रंग के पर्दे लगाये यह कु प्रभव काफी हदतक दूर हो सकता है
- यदि भवन निर्माण हो चूका है तो तुरंत दूसरी मंजिल बनाकर उत्तर पूर्वी कोना में रिक्त स्थान छोड़े
- अगर भवन के उत्तर पूर्वी स्थान ऊँचा हो तो अर्थहीन ,सन्तान अस्वस्थएवं मंद्बुदी वाली होगी