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Vastushastra-What Is Done In The Building Is Considered Auspicious,

 Vastushastra-What Is Done In The Building Is Considered Auspicious,घर में किस जगह किया  होना चाहिए

   भवन अधिकतर दो प्रकार के होते हैं, साधारण भवन और उच्च भवन दोनों में मूलभूत सुविधा रहती है अंतर इतना ही रहता है कि साधारण घर को बनाने में सामान्य सामग्री ही कार्य में ली जाती है वहीं उच्च वर्ग अच्छी गुणवत्ता की सामग्री और आधुनिक सुविधाओं का उपयोग करता है 

सूर्य जिस प्रकार सभी वर्ग से संबंधित लोगों को सम्मान रूप से अपनी उर्जा प्रदान करता है, इस प्रकार वास्तु शास्त्र सामान्य जन और उच्च आय वर्ग को एक सम्मान सलाह देता है| यह vastu  उच्चतम सोच का  परिचायक है, की हवेली में भी यदि ईशान कोण  में किसी bedroom में अगर शौचालय बना हुआ  है| तो यह उसका विरोध करता है यहां भवन को विभिन्न भागों में संबंध में विचार किया जा रहा है, जिसे प्रत्येक भाग से संबंधित सभी शंकाओ  का निराकरण किया जा सके|

Vastushastra-Bedroom-Kamra

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bedroom photo 1

 आवास में कई bedroom होते हैं घर में बेडरूम कहीं भी हो सकते हैं, अंतर केवल वही रहता है कि घर में सदस्यों की स्थिति के अनुसार बेडरूम का वर्गीकरण होना चाहिए| कुछ  स्थान पर इस प्रकार के भी होते हैं जहां बेडरूम नहीं बनाने चाहिए कभी भी बेडरूम ना बनाएं|

जैसे सीढी के निचे कभी भी  bedroom नहीं  बनाएं |रसोई से सटाकर कभी भी  bedroom नहीं बनाये, bedroom इस प्रकार बनाएं कि उससे  सोने का बिस्तर या पलंग इस तरह से की सोने वाले का सिर उत्तर की और नहीं रहे दक्षिण की और रहे 


 दक्षिण की तरफ श्रेष्ठ है, और पूर्व की तरफ ही ग्राही  है खिड़कियों और दरवाजे पहले से ही निर्धारित कर लेने  हैं|  क्योंकि बाद में कई प्रकार की परेशानी उठानी  पड़ती है  चित्र no 1 में दिखाया गया है की आप अपना bedroom किस दिशा में रखना शुभ होता है चित्र में जहाँ bedroom लिखा है वह स्थान अति उत्तम है

Vastushastra-रसोईघर -Kitchen-Rasoighar 


east-south मे बनी हुई रसोई ही श्रेष्ठ होती है
images 02

अग्नि कोण को निर्विवाद  रूप से रसोई के लिए आरक्षित है, लेकिन यदि किसी कारणवश  पूर्ण आग्नेय  कोण में नहीं बनाया जा सके तो दक्षिण में ही बनाना चाहिए| और रसोई के अग्नि कोण में चूल्हे की स्थापना करनी चाहिए| अनुभव में यह भी  आया है कि पश्चिम दिशा में बनी रसोई भीअधिक प्रतिकूल फल नहीं देती है|लेकिन ईशान कोण की रसोई किसी प्रकार से शुभ नहीं है| भवन के आरम्भ  में ही रसोई का निर्माण नहीं करना चाहिए, बर्तन धोने के वाश बेसिन को दक्षिण या पश्चिम में बनाएं| रसोई के गंदे पानी के निकासी की व्यवस्था पश्चिम की तरफ रखें रसोई में खाना बनाने वाले का मुह पूर्व तरफ रहना चाहिए यदि रसोई के अग्नि कोण में चूल्हा रखना है तो रसोई घर का मुंह पूर्व की तरफ रख सकते हैं रसोई के पानी की आपूर्ति हेतु छत पर बनाए जाने वाला टैंक छत के दक्षिण या पश्चिम की ओर बनाएं| रसोई में एक या दो खिडकिया अवश्य  रखनी चाहिए | यहाँ एक चित्र दिया गया है जिसमे हरे रंग से एक स्थान दिखाया गया है इस जगह पर रसोईघर श्रेष्ठ  होता है देखे चित्र no 2  

Vastushastra-पूजाघर -house of worship-Pujaroom

PUJA ROOM KA MUKHY STHAN
images pooja

PUJA ROOM KA MUKHY STHAN
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PUJA ROOM KA MUKHY STHAN
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  जो लोग नित्य पूजा या प्रार्थना करते हैं उन्हें वायव्य को छोड़ कर कही भी पूजा स्थान बना लेना चाहिए| लेकिन ईशान कोण  के बाद नेत्रत्व  कोण  पूजा के लिए सर्वोत्तम है| ईशान कोण का  स्वामी बृहस्पति है जो धर्म का कारक है यदि ईशान कोण  में पूजाघर हो तो बृहस्पति को बल मिलता है| ऐसे में घर के बुरे प्रभाव नष्ट होते हैं, लेकिन कुछ बड़ा मंदिर बनाना हो तो उसे पूर्ण ईशान में नहीं बनाना चाहिए उसे पूर्व उत्तर या पश्चिम में बनाया जा सकता है 

घर  का मंदिर जितना भी बड़ा क्यों ना हो उसमें रखी मूर्ति का नाप 9  इंच अधिक ना हो ,पूजा स्थान के आसपास सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए रसोई  को सदैव पूजा स्थल से दूर रखें, पूजा स्थल के ठीक सामने भी रसोई और सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए |पूजाघर को कभी भी इस तरह से नहीं बनाये की कि घर में प्रवेश द्वार से ही मूर्तियों  के दर्शन हो रहे हो|

जो लोग घर में पूजा स्थान न रखते  हो उन्हें ईशान कोण में अध्ययन कक्ष या  पुस्तकालय बनाना चाहिए या फिर स्थान को खुला छोड़ देना चाहिए| चित्र no 3 में बताया गया है आपको पूजा घर कहा उत्तम है 

 सीढ़िया -Stair-Step,Jina

sidhi kanha hona chahiye
staircase

 सिढीयाँ घर का अभिन्न अंग है, कुछ स्थानों  पर लोग लकड़ी की अस्थाई सिढीयाँ  रखते हैं .जो उचित नहीं कही जा सकती है| क्योंकि अक्सर इसका स्थान बदलता रहता है, जिसे पूरा परिवार ही राहु के प्रभावित रहता है उसे एक ही स्थान पर रखना चाहिए सीढीयों  का उचित स्थान दक्षिण है लेकिन यदि इसे पूर्ण नैरूत्व कोण में बना दिया जाए तो अधिक बेहतर है| सिढीयाँ  का घुमाव इस प्रकार रहे कि वह हमारे दाएं हाथ की तरफ हो,सीढीयों  की कुल संख्या में तीन का भाग देने पर दो शेष बचना चाहिए सीढीयों में यदि कई घुमाव होतो प्रथम और अंतिम घुमाव दांये तरफ होने चाहिए| मध्य के घुमाव् बाये भी हो सकते हैं, सीढीयों के नीचे बने त्रिकोनात्म्क स्थान को कभी भी शयनकक्ष या अन्य काम में नहीं लेना चाहिए| यह स्थान खुला रखना चाहिए सीढीयों के निचे के भाग में जहा तक हो सके द्वार रखना चाहिए और उसेअनावश्यक खुला नहीं रखें |सीढीयों के लिए श्रेष्ठ जगह photo no 4 में देखे| 

 शौचालय-toilet-Prsadhan

 हालांकि नैरूत्व कोण शौचालय के लिए श्रेष्ठ होता है लेकिन इसे वायव्य में भी बनाया जा सकता है लेकिन इसका मुह  उत्तर की तरफ ना रखें उपयोगकर्ता का मुख्य पूर्व की तरफ रख सकता है ईशान कोण  में बने bedroom में  शौचालय संलग्न न करें बड़ा है तो उसकी सीट को कभी भी शौचालय के मध्य में ना लगे शौचालय का टैंक मुख्य भवन के बाहर रखें

 स्नानागार-Bathroom

 वायव्य से लेकर दक्षिण के मध्य तरफ कहीं भी स्नानघर  बनाया जा सकता है| कुछ जगह ऐसा भी उल्लेख मिलता है की  स्नानघर पूर्व में  भी बनाया जा सकता है| नेरुत, पश्चिम, और ईशान में भी  स्नानघर   बनाने का विधान  है, मुख्यतः अग्नि कोण में इसे नहीं बनाना चाहिए| स्नानघर में गीजर को अग्नि कोण में रखें स्नानघर  में जल निकासी वायव्य कोण में रखे  और पानी की आपूर्ति ईशान कोण में रखे

  पशुशाला -cattle shed-pashushala

 भारत की कुल जनसंख्या का 75% प्रतिशत भाग गांव में रहता है गांव में लगभग सभी घरों में पशु शालाएं रखी  जाती है बहुत कम लोग ऐसे मिलते हैं जो पशुधन में वंचित हो पशुशाला  गांव के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है वायव्य कोण में  पशुशाला  बनानी चाहिए जहां चंद्रमा का निवास होता है दुधारू पशुओं को हमेशा वायव्य में ही रखें

 तलघर- basement-talghar

तहखाना घर का एक अभिनंदन है, आजकल जबकि  भूमि की कमी की  समस्या मुह फुलाये खड़ी है |इस स्थिति में तहखाना काफी उपयोगी सिद्ध होता है| आमतौर पर यह उन स्थानों के लिए तहखाना बनाना काफी  महंगा पड़ता है जो भूखंड समतल है| एक तरफ बहुत अधिक झुके हुए भूखंड में लोग लालचवश तलघर बना लेते हैं, हालांकि यह सस्ता पड़ता है, लेकिन यदि यह वास्तु शास्त्र सम्मत ना हो तो घर के लिए बहुत अशुभ होता है |बाद में इस स्थिति को अनुकूल बनाना कठिन होता है, क्योंकि यह महंगा रहता है तलघर के लिए उत्तर या पूर्व अथवा ईशान कोण का चयन करना चाहिए| तलघर कुल भूखंड के आधे हिस्से से अधिक न बनाये |चित्र no 6 में देख सकते है तलघर का मुख्य स्थान |

 पानी की व्यवस्था-Sater System,Pani ki vyvstha

 जल पांच तत्वों में से एक है जल को जीवन का पर्याय  माना गया है, जो गलत नहीं है पुराने समय में घर की बजाय सार्वजनिक स्थानों पर जल संग्रह  की व्यवस्था का अधिक चलन था| तालाब कुंए,  बावड़ी ,कुण्ड और जोहड़े. आदि बरसात के जल में से संग्रह के मुख्य साधन थे |वर्तमान समय में किसी भी घर में जल संग्रह की व्यवस्था देखी जा सकती है,जल संग्रह के मुख्य तीन तरीके प्रचलित है, भूस्तर से नीचे जल संग्रह सर्वोत्तम माना गया है लेकिन उसकी पुन: प्राप्ति के लिए ऊपर के टेंक को अधिक महत्व दिया जा रहा है|भू स्तर के नीचे का जल वातानुकूलित होता है, जो गर्मियों मैं ठंडा और सर्दियों में गर्म पानी निकलता है| इसे बनाने के लिए ईशान कोण सबसे अच्छा स्थान है,सम्भवत इस स्थान पर कोई विकल्प नहीं है| जल संग्रह का दूसरा तरीका भू स्तर के उपर का है मिट्टी और धातु के पात्र इसके साधन है| भू स्तर पर सीमेंट आदि का टैंक भी निर्मित किया जा सकता है, इस जल संग्रह को वायव्य में रखना चाहिए| ईशान में भी यह ग्राही है,तीसरा तरीका है, वह भू स्तर के कुछ फीट ऊपर या भवन की छत के ऊपर जल संरक्षण टैंक इसे दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना चाहिए| इसे ठीक-नेरुत्व में भी बनाए जा सकता है, वैसे इस तरह की छोटी टंकिया को अग्नि कोण के अलावा कहीं भी रखा जा सकता है. अगर टेंक का आकार बड़ा है, तो नेरुत्व कोण बनाये कुंए को बनाने के स्थान के लिए हमेशा ध्यान रखें कि, वह भवन के उत्तर में स्थित हो खेतों( फार्महाउस) में बनने वाले कुंए के संबंध में यह ज्ञातव्य तथ्य  है. इसे उस भवन के उत्तर पूर्व में होना चाहिए अस्थाई आवास के रूप में बनाया गया हो कुंए को ईशान के ठीक मध्य में नहीं खुदवाएं, इसकी सही स्थिति को चित्र में माध्यम से समझे कुंए को सदैव मुख्य भवन की परिधि से बाहर रखें यदि आपके पानी की आपूर्ति सरकार का निजी क्षेत्र से पाइप द्वारा की जाए हो रही है, तो यह उत्तर दिशा से आना चाहिए.

 पानी के निकास के लिए उत्तर या पूर्व की दिशा श्रेष्ठ रहती है, लेकिन गंदे पानी के निकास के लिए वायव्य कोण  अधिक अच्छा है.

मनोरंजन कक्ष-Recreation Room

 मनोरंजन का कक्ष वायव्य  में रखना चाहिए, लेकिन आप यदि पुस्तको को पढ़कर अपना मनोरंजन करते हैं तो यह कक्ष उत्तर पूर्व में भी बनाया जा सकता है,आज का मुख्य मनोरंजन का साधन टीवी है और यह घर के प्रत्येक कमरे में रखा होता है इसके अलावा आज मनोरंजन के  इतने साधन होगये है की घर पर बैठ कर मनोरंजन के लिए समय निकलना बहुत मुश्किल है, मोबाइल आज हर पूर्ति  करता है. 

 बालकनी-Balcony-JHAROKHA 

बालकोनी  के दोहरे उपयोग है, एक तो यह छत के क्षेत्रफल को बढाती दूसरे भवन के सौंदर्य वृद्धि करती है.शहरो  में बालकनी बनाने का प्रचलन विगत वर्षो से बहुत बड़ा है,हालाँकि पुरानी हवेलियों में सुंदरता वृद्धि के लिए बालकनी का बनाना एक परंपरा रही है. बालकनी के आशय छत के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी करना है इसलिए पूर्ण रूपेण ईशान कोण में इसे बनाने से बचना चाहिए विशेषत त्रिकोनात्मक बालकनी अशुभता के लिए होती है. 

मेहमान कक्ष -guest room

 वे लोग जो कम  बेडरूम का आवास रखते हैं. मेहमान कक्ष बैठक कक्ष या  स्वागतकक्ष एक ही रखते है,किसी भवन में इसका वर्गीकरण संभव हो तो बैठक और स्वागत कक्ष कही भी बनाया जा सकता है, लेकिन मेहमान कक्ष को नेरुत्व कोण में बनाने से बचना चाहिए. इसका सर्वोत्तम स्थान वायव्य कोण  नेरुत्व में हो सके गृहस्वामी को  रहना चाहिए स्वागत कक्ष उत्तर या पूर्व में भी बनाया जा सकता है. परंतु यह फैसला तभी ले ईशान कोण में  निर्माण करना. अनिवार्य हो मेहमान कक्षा में मेहमान के वस्त्र आदि रखने  का स्थान या  अलमारी को  वायव्य कोण में निर्मित करें .

किराए पर देने का स्थान -rental space-Kiraye pr dene ka 

  आर्थिक युग में चलते लोग अपने भवन का कुछ हिस्सा किराए पर उठाते हैं, ऐसा करने से उन्हें आर्थिक लाभ रहता है. वही उनके इर्द-गिर्द एक खुशनुमा माहौल भी बना रहता है, भवन में से नेतृत्व कोण के भाग  को छोड़कर यदि किसी भी हिस्से में किराए पर दिया जा सकता है, वैसे उत्तर या पूर्व में बने भागों को शुभ माना गया है यदि भवन पर कब्जे की संभावना हो तो भवन के वायव्य कोण में किराए पर देना अधिक ठीक है. यदि भूखंड विषम  में तो उसकी विशेषता को दूर करने के लिए विशेष स्थान को मुख्य भूखंड को अलग कर किराये पर दे. इस स्थान पर एक छोटा भवन किराए पर देने के लिए निर्मित कर सकते है.

 नौकरों का कमरा-servants' room, nokron ka kamra 

गार्ड रूम को मुख्य द्वार के पास बनाना व्यवहारिक है,यदि मुख्यद्वार दक्षिण में है तो इसे अग्नि कोण की तरफ बनाना चाहिए, लेकिन पूर्ण अग्नि  कोण में ना बनाएं  नेरुत्व की तरफ नोकरो का कमरा नहीं बनवाए वायव्य कोण या ईशान कोण में बनाया जा सकता है ,वैसे पूर्ण ईशान क की बजाय उत्तर में निर्मित करना अधिक उचित है.

 महत्वपूर्ण जानकारियां-important information-vastu ki jankari

  1.  विद्युत संबंध को अग्नि कोण से ले और समस्त विद्युत उपकरण मीटर मैंन स्विच आदि भी अग्नि कोण  में रखें यदि घरेलू जनरेटर सेट  है, तो उसे भी अग्नि को या दक्षिण में रखें. 
  2. चिकनाई युक्त पदार्थ मध्य पूर्व में रखे अनाज आदि का वायव्य में भंडारण करे 
  3. तिजोरी या  धन संग्रह उत्तर मध्य में करें धन की कमी भी वायव्य ना रखें 
  4. भोजन के लिए आप यदि अलग  से कक्ष  रखते  हैं तो उसे पश्चिम में ही बनाएं
  5.  भवन की खिडकिया और स्तम्बो की संख्या सम ही  रखें जा सकती है 
  6. टेलीफोन का संबंध अग्नि कोण की तरफ से हैं और जल का सम्बन्ध  ईशान  कोण  से है 
  7.  पेड़ पौधों में घने  और विशाल वृक्षों को नेरुत्व  कोण में लगाना चाहिए और हलके और फूलों के पौधों का ईशान कोण में लगे तुलसी को भवन के ठीक मध्य में लगाये, जिससे मध्य स्थान के उत्तर पूर्व में ही रोपा जा सकता है 
  8. परिसर में पानी का निकास उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए
  9.  भूखंड और मुख्य भवन के मध्यो  को निकाल लेना चाहिए यह ब्रह्म स्थान है इन  पर किसी प्रकार का निर्माण नहीं करना चाहिए
  10.  द्वार के बिल्कुल सटाकर सिढीयाँ  और शौचालय ना बनाएं
  11.  भवन के प्रत्येक कक्ष को vastu  शास्त्र सम्मत  बनाने  के लिए प्रत्येक कक्ष को एक भूखण्ड माने और वास्तु शास्त्र अनुसार उसमे  वस्तुओं को रखें 
  12. कंटीले पोधे घर के अंदर नही  रखे न ही घर के सामने रखे इन्हें घर के बाहर सामने का हिस्सा छोड़कर रख सकते है 
  13.  जो वस्तुएं आप शीघ्र रही है बेचना  चाहते हैंउन्हें वायव्य कोण में रखे  जो वस्तुंए स्थिर रखना चाहते है उन्हें नेरुत्व कोण में रखे 
  14.  मेहमानों कभी नेरुत्व  कोण  में ठहराय जिस किसी व्यक्ति  से स्वार्थ जुड़ा है और उसे आपको दिनों तक घर में रखना चाहते हैं उसे नेरुत्व कोण  में बने किसी कमरे में स्थान देदे  तो कोई बात नहीं है 
  15.  घर में ही कोई छोटा कारखाना या मशीन लगाना चाहते हैं तो उसे अग्नि कोण  में लगायें 
  16.  यदि आप पि० सि० (निजी कम्पुटर )रखते है तो उसे अग्नि कोण  में रखेंइसे नेरुत्व कोण में भी रखा जा सकता है लेकिन परिसर में आप कम्पुटर  सेंटर चलते है तो  जाहिर है कि आपके पास एक से अधिक कंप्यूटर होंगे  अग्नि कोण श्रेष्ठ है 
  17. कक्ष में पुस्तको की अलमारी को ईशान कोण में रखना चाहिए लेकिन वायव्य कोण में रखी पुस्तके भी अच्छा फल प्रदान करती है क्योंकि इनका ज्ञान गतिशील रहने  पर ही फलीभूत होता है
  18.  यदि किसी बिन बुलाए मेहमान का आपके आवास में रहने का इरादा हो तो उसे, वायव्य कोण  में बने किसी कमरे में ठहराएँ. 
  19. घर में सुंदर चित्र ही लगायें बैठक में अन्य प्रकार के आकर्षक चित्र भी लगाए जा सकते हैं, अन्य  स्थान पर सरल चित्र शुभ रहते हैं. 
  20. घर में शोकिया चित्र कला ही करें यदि आप जीविकापार्जन के लिए चित्र सृजन करते हैं तो इसके लिए अपने आवास में पर्याप्त  दूर किसी स्थान का चयन करें.
  21.  गृहस्थ  व्यक्ति को पूजा करने का समय निर्धारित करना चाहिए और उसे समय बहुत अधिक नहीं होना चाहिए. 
  22. किसी भी कक्ष में अपने बैठने  का स्थान नेरुत्व कोण में बनाये और इस प्रकार बैठे की  आपका मुह उत्तर पूर्व की और रहे.  
  23.  बरसात में पानी का निकास उत्तर पूर्व दिशा में रख सकते हैं लेकिन गंदे पानी का निकास  हालाँकि  उत्तर में किया जा सकता है लेकिन ईशान कोण से  हमेशा दूर रखना चाहिए
  24.  घर में स्टोर के पास पूजा कक्ष नही  बनाएं लेकिन व्यावसायिक विषय में ऐसा बनाया जा सकता है
  25. कूलर कक्ष के उत्तर पूर्व में रखे  लेकिन पंखे रखने का स्थान वायव्य या अग्नि कोण है
  26. अपने ड्रेसिंग रूम में टुटा दर्पण नहीं रखे व् टूटे दर्पण का उपयोग भी नहीं करे टूटे दर्पण में श्रंगार नहीं करें 
और भी जाने- https://www.homebasic.in/2024/07/vastu-tips-condition-of-all-parts-of.html

disclaimer-यह लेख एक पाठ्य के लिए है इस लेख में जो भी लिखा गया है वह सिर्फ पाठ्य के लिए है इस पर अधिक जानकारी के लिए किसी विशिष्ठ सलाहकार से ले सकते है या फिर इसको अन पढ़ा  कर सकते है homebasic इसकी जिम्मेदारी नहीं लेता है 



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