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Vastu Tips-Plots Kharidte Samay In Baton Ka Rakhe Dhyan

 Vaastu Tips-Plots Kharidte Samay In Baton Ka Rakhe Dhyan/

Plots Kharidte Samay प्लाट खरीदते समय इन बातों का रखे ध्यान

प्लाट के एक तरफ सड़क:-

प्लाट के चारों और किसी एक  face  में सड़क हो तो चार प्रकार की स्थितिया बनेगी  जो की निम्न है

( 1 ) प्लाट के पूर्व की और सड़क 

( 2 ) प्लाट के पश्चिम की  और सड़क 

( 3 ) प्लाट के उत्तर की और सड़क 

( 4 ) प्लाट के दक्षिण  की और सड़क 

अब चारों की अलग अलग स्थिति और शुभाशुभ फल की बात करेंगें 

1- पूर्व East Face की और सडक :- 
पूर्व  की और सड़क जाती हुई
पूर्व मुखी प्लाट 



यदि प्लाट के पूर्व की दिशा में सड़क होतो यह प्लाट श्रेष्ठ होता है, इसपर घर बनाना शुभ फलदायी होता है इस तरह के प्लाट में घर बनाना बहुत अच्छा होता है इस प्लाट में घर बनाने से परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है 

https://www.homebasic.in/2024/07/vastu-tips-construction-of-house-in.html

2- प्लाट के पश्चिम की और सड़क :-
पश्चिम की और सड़क  जाती हुई
पश्चिम मुखी प्लाट 



पश्चिम face प्लाट को हम अच्छा कह सकते है पर श्रेष्ठ नहीं इस दिशा में यानि अगर आपको पश्चिम की और सडक का प्लाट खरीदना हो तो खरीद सकते है इस तरह के प्लाट आपको शुभफल देने वाला सिद्ध हो सकता है इस face का प्लाट लेना किसी भी प्रकार की हानि नहीं है आज के समय अपने जरूरत के जैसा प्लाट मिलना काफी मुश्किल होता है आप इस तरह का प्लाट लेने में कोई समस्या नहीं है 

Plots Kharidte Samay3- प्लाट के उत्तर की और सड़क:-
north face me road vala plat




यदि आप जो प्लाट खरीदने जा रहे है उसके उत्तर की और सड़क है तो यह प्लाट बहुत अच्छा है आप को लाभ देने वाला सिद्ध हो सकता है आप इस तरह का प्लाट बिना  किसी विचार के खरीद सकते है यह आपको लाभदायक होगा इस तरह के प्लाट में रहने वाले को किसी भी व्यापार में फायदा पहुँचाने  वाला होगा 

4- प्लाट के दक्षिण  face में सड़क:-
south face plat




प्लाट के दक्षिण face  में अगर सड़क होतो यह आपको सामान्य फल देने वाला हो सकता है इस प्रकार के प्लाट में घर का निर्माण करना मिश्रित फलदायक हो सकता है दक्षिण दिशा के प्लाट में  मुख्य द्वार अच्छा नहीं माना गया है फिरभी अगर आपने ऐसा प्लाट खरीद लिया  होतो कोई बात नहीं कुछ vastu के सिंद्धातो का पालन करते हुए आप यहा पर घर बना सकते है 

दोनों और सड़क वाले प्लाट 
प्लाट के चारों और किसी दो दिशाओ में अगर सड़क होती है तो अनेक स्थितिया बनती है जो निम्न प्रकार है 
  1. प्लाट के उत्तर व् पूर्व दिशा में  मार्ग  ( सडक )
  2. प्लाट के उत्तर व् पश्चिम दिशा में  मार्ग  ( सड़क )
  3. प्लाट के दक्षिण व् पश्चिम दिशा में मार्ग ( सड़क )
  4. प्लाट के दक्षिण व् पूर्व दिशा में  मार्ग (सड़क )
  5. प्लाट के पूर्व  एवम पश्चिम  दोनों दिशाओ में मार्ग  (सड़क )
  6. प्लाट के  उत्तर एवं दक्षिण  दोनों दिशाओ में मार्ग  (सड़क )
अब  उपयुक्त छ: दिशाओ के  अलग अलग फल बताएँगे 

1-प्लाट के उत्तर व् पूर्व दिशा में मार्ग :-


north-east face plat
north-east face road
यदि प्लाट के उत्तर व् पूर्व दिशा में मार्ग है तो  स्थित होतो यह श्रेष्ठ प्लाट है इस पर घर निर्माण करना सुख समृद्धि एवं धनकारक है 
यदि प्लाट के कोर्नर में गोलाई है तो यह प्लाट सामान्य है ईशान कोना में गोलाई होनेसे यह प्लाट सामान्य हो जाता है 
2-प्लाट के उत्तर व् पश्चिम दिशा में मार्ग :-
north-west -face road
north-west road 



प्लाट के उत्तर व् पश्चिम दिशा मे अगर मार्ग है तो यह प्लाट सामान्य होगा और इस में भवन निर्माण करना न फायदा भी नहीं और नुकसान भी नहीं इस भवन में न लाभ न हानिकारक होता है 
3-प्लाट के दक्षिण पश्चिम दिशा में मार्ग :-
south west face road



यदि प्लाट के दक्षिण व् पश्चिम की और मार्ग है तो यह प्लाट सामान्य (normal) होता है इस भूमि पर घर बनाना सामान्य फलदायी होता है 

4- प्लाट के दक्षिण व् पूर्व दिशा में मार्ग :-

south-east face



यदि प्लाट के दक्षिण और पूर्व की और दोनों तरफ मार्ग है तो यह प्लाट अशुभ होता है इसपर भवन निर्माण करने से अनिष्ट होता है और भवन निर्माता दरिद्र हो जाता है 

5-प्लाट के पूर्व व् पश्चिम दोनों दिशाओं में मार्ग :-

east-west site face road
East west road




यदि भूमि के पश्चिम और पूर्व दोनों दिशाओ में मार्ग होतो यह सामान्य  है और इस भूमि पर भवन निर्माण करने पर मिश्रित फल अथवा शुभाशुभ दोनों प्रकार के फल की अनुभूति होती है इस प्रकार की भूमि पर दोनों दिशाओ में पड़ने वाले मार्गो की और द्वार बनाकर निकासी नहीं रखना चाहिए 

6 प्लाट के उत्तर व् दक्षिण दोनों दिशाओ में मार्ग :-

north and south face road plot
North-south face road plat




यदि प्लाट के उत्तर और दक्षिण दोनों दिशा मे मार्ग होतो यह प्लाट मिश्रित फलदायी है दोनों और शुभाशुभ फल की अनुभूति हिती है दोनों दिशाओ में द्वार नहीं रखना चाहिए भवन के आगमन एक द्वार से रखे इस भूमि में घर बनाकर रहने वाला गृह स्वामी ज्यादा उन्नति नहीं कर पता है सामान्य जीवन जीता है 
प्लाट के तीनों और मार्ग
प्लाट के तीन और अगर मार्ग है तो ये  चार स्थितिया बनती है 

( 1 ) प्लाट के पूर्व पश्चिम व् उत्तर तीनो दिशा में मार्ग 



tin disha me road plat
3 face road

( 2 ) प्लाट के पूर्व पश्चिम व् दक्षिण  तीनो दिशा में मार्ग 

3face road plat
3 face road plat



( 3 ) प्लाट के उत्तर दक्षिण एवं पश्चिम तीनो दिशा में मार्ग 


East North West face road
East north west face road


( 4 )प्लाट के पूर्व ,उत्तर एवं दक्षिण के तीनो  दिशा में मार्ग

 
east west south face road
east west south road plat


प्राय: प्लाट के तीनो और मार्ग होतो ऐसा प्लाट निवास के लिए अच्छा नहीं माना जाता है ऐसे में प्लाट पर निर्माण करते समय आकार  इस प्रकार रखना चाहिए जिससे असुरक्षा से बच सके, यह जान  ले  तीनो और मार्ग हो और आवागमन  हेतु स्वंतंत्र है तो ऐसा भवन सुरक्षा की दृष्टी सेअनुपयुक्त  है और विपत्तियों को समय असमय निमन्त्रण देता रहता है |वस्तुत:सुरक्षा  की दृष्टि से  विचार करके ही भवन निर्माण करना चाहिए|  

प्लाट के चारो और मार्ग :-


यदि प्लाट के चारो और मार्ग हो तो ऐसा प्लाट धनागमन की दृष्टि से अत्यंत शुभ होता है| यदि भूखंड के चारो और मार्ग हो और सभी दिशाए चोराहे के रूप में खुली होतो भूमि के स्वामी को धन धान्य से संपन्न  व्  धन धान्य से परिपूर्ण  कर देता है| 
यदि प्लाट के चारो और मार्ग हो तथा  सभी मार्ग  आवागमन के लिए खुले हो ऐसा प्लाट गृह स्वामी को समृद्ध व् धनि बना देता है 
यह जान ले की चारों और से मार्गयुक्त प्लाट धन धान्य की दृष्टि से सर्वाधिक शुभ होता है  लेकिन सुरक्षा की दृष्टी से आशंकाओं से घिरा रहता है कभी भी संकट स्थिति हो सकती है इसलिए बनाते समय सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना चाहिए

   वेध दोष युक्त प्लाट 

 प्राय: प्लाट पर कई प्रकार के वेध  दोष पाए जाते हैं, यह वेध  प्लाट  के पास मंदिर, देवालय, स्तम्भ, नाला, कीचड़ या अन्य  वस्तु एवं 2 मार्ग से मिलने वाले संधि स्थल के कारण बनते हैं| कुछ एक स्थिति में प्लाट दोष युक्त नहीं होते हैं अब यहां पर आपको प्लाट के वेध दोष बतलाएंगे| वेध दोष के कारण श्रेष्ठ प्लाट भी दोष युक्त से हो जाता है और सभी वेध दोष पूर्ण होते हैं, परंतु कुछ अपवाद भी होते हैं|

 एक दिशा में वेध युक्त प्लाट 

 यदि प्लाट के उत्तर दिशा की ओर मार्ग हो तथा उसमें उत्तर दिशा की ओर से ईशान कोण पर मार्ग वेध  हो तो  ऐसा प्लाट होने पर भी वेध दोष युक्त नहीं माना जाता है इस पर भवन निर्माण किया जा सकता हैनिचे दिए चित्र में देखे 
 लेकिन ध्यान रखें यह वेध ईशान कोण पर हो तो शुभ परंतु यदि सम्मुख है तो अशुभ है अशुभ स्थिति में निर्माण नहीं करना चाहिए

 यदि प्लाट के पूर्व दिशा की ओर मार्ग हो तथा उसमें पूर्व दिशा की ओर से मार्ग वेध हो तो ऐसा प्लाट होने पर भी दोष मुक्त नहीं माना जाता है इस पर भवन निर्माण किया जा सकता है

 यदि प्लाट के दक्षिण दिशा की ओर मार्ग हो तथा उसमें दक्षिण दिशा की ओर से मार्ग वेध हो तो ऐसा भूखंड वेध  दोष युक्त होता है इस पर भवन का निर्माण नहीं करना चाहिए 


यदि प्लाट के पश्चिम दिशा की ओर मार्ग हो तथा  उसमें पश्चिम दिशा की ओर से वेध  हो होता है ऐसा प्लाट वेध  दोष युक्त होता है इसे प्लाट पर भवन निर्माण नहीं करना चाहिए

 दो दिशाओं से वेध युक्त प्लाट 

 यदि प्लाट  के उत्तर दिशा व्  पूर्व दिशा  की ओर मार्ग हो तथा उसमें उत्तर व पूर्व दिशा की ओर से वेध हो  तो ऐसा प्लाट वेध दोष युक्त  होता है यह प्लाट भवन निर्माण हेतु अनुपयुक्त होने के कारण त्याज्य है 

यदि प्लाट के पूर्व व्  दक्षिण दिशा की ओर मार्ग हो तथा उसमें पूर्व दक्षिण दिशा की ओर से वेध  है तो ऐसे  प्लाट वेध दोष  युक्त होता है इस प्लाट पर भवन निर्माण हेतु अनुपुक्त होने  के कारण त्याज्य है एसी जगह पर निर्माण नही करना  है 
तथा उसमें दक्षिण व पश्चिम दिशा की ओर से वेद हो तो ऐसा भूखंड वेद दोष युक्त होता है इस प्लाट पर  निर्माण अनुपयुक्त होने के कारण नहीं करना  चाहिए 
यदि भूखंड के पश्चिम दिशा में उत्तर दिशा की ओर मार्ग होता था उसमें पश्चिम में दक्षिण उत्तर दिशा की ओर से वेद हो तो ऐसे भूमि में दोष युक्त होता है इस भूखंडपर  भवन निर्माण हेतु अनुयुक्त होने के कारण त्याज है 

तीन दिशाओं से वेध युक्त प्लाट 

यदि प्लाट के तीन और पूर्व दक्षिण एवं पश्चिम दिशा की ओर सड़क हो तो ऐसा प्लाट वेध युक्त होता है इस प्लाट पर भवन निर्माण नहीं करना चाहिए 
प्लाट के तीन और  पूर्व उत्तर एवं पश्चिम दिशा की ओर से सम्मुख मार्ग वेध  हो तो ऐसा भूखंड दोष युक्त  होता है यह भूखंड भवन निर्माण हेतु अशुभ माना गया है
   यदि प्लाट  के तीन और उत्तर पूर्व एवं दक्षिण दिशा की ओर मार्ग हो वह  उत्तर पूर्व एवं दक्षिण दिशा की ओर सेसम्मुख  मार्ग वेध  हो तो ऐसा भूखंड वेध दोष  युक्त होता हैइस भूमि पर भवन निर्माण नहीं करना चाहिए 
यदि  उत्तर पश्चिम एवं दक्षिण दिशा की ओर मार्ग की उस पर उत्तर पश्चिम और दक्षिण दिशा की ओर से सम्मुख मार्ग वेध  हो तो ऐसा प्लाट वेध दोष युक्त  होता है या भूखंड भवन निर्माण हेतु अनुपयुक्त  होने के कारण त्याज्य है

 दो विपरीत दिशाओं से वेध युक्त प्लाट 

 यदि प्लाट के दो विपरीत दिशाओं  में स्थित मार्ग में के  सम्मुख मार्ग वेध हो तो ऐसा भूखंड वेध दोषयुक्त होता है|यह  भवन निर्माण त्याज्य है  इस वेध दो स्थितिया बनती है एक उत्तर व दक्षिण दिशा में स्थित मार्ग पर सम्मुख मार्ग वेध एवं दूसरा पूर्व व पश्चिम  दिशा में स्थित मार्ग सम्मुख मार्ग वेध  में दोनों स्थितियों में भवन निर्माण हेतु अशुभ व् त्याज्य  है

 चार दिशाओं में वेधयुक्त प्लाट 

यदि भूखंड के चारों ओर उत्तर पूर्व दक्षिण और पश्चिम दिशा में मार्ग हो उस पर चारों दिशा मेंउत्तर पूर्वदक्षिण एवं पश्चिम सम्मुख मार्ग वेध होतो ऐसा प्लाट वेध दोष युक्त होता है यह प्लाट भवन निर्माण हेतु अत्यंत अशुभ है इसका स्वामी सुरक्षित नहीं रहता है इसपर भवन निर्माण नहीं करना चाहिए 

 पूर्व दिशा में टी आकृति एवं बंद मार्ग पर स्थित प्लाट 

यदि किसी प्लाट के  पूर्व में मार्गहो  और वह T की आकृति बनांता हैं तो ऐसा प्लाट अशुभ होता हैअत: यह भवन भवन निर्माण के लिए अनुचित होने के कारण त्याज्य है यदि बंद मार्ग प्लाट  स्थित हो तो उस भवन निर्माण करना  अनुपयुक्त  है अशुभ होने के कारण इसे भी त्याग  देना चाहिए
 आवास विकास समितियां की योजनाओं में मिलने वाले प्लोटो में एसी स्थितीया  पाई जाती  है इस तरह के सरकारी योजना के  भूखंड की यह स्थिति  पाई जाती है इस प्रकार बंद मार्ग पर स्थित भूखंड  अशुभ होने के कारण भवन निर्माण हेतु त्याग देना  है 
इस प्रकार के कोनों से प्लाट  शुभ होते हैं इस दुकान निर्माण हेतु चाहिए है 
अन्य प्रकार के वेध 
अब कुछ इस प्रकार के वेदों की चर्चा करते हैं जो की निम्नलिखित है 

1 मंदिर द्वारा वेध 

  •  निर्मित भवन की ऊंचाई से दोगुनी दूरी  तक भूमि  के आसपास या सामने मंदिर या देवालय  नहीं होना चाहिए
  •  यदि भवन के सम्मुख सामने मंदिर है तो उसकी छाया मध्यान्ह काल  तक भूमि  या भवन पर नहीं पड़नी चाहिए 
  • किसी भी भवन के मुख्य द्वार के सम्मुख सूर्य, ब्रह्मा, विष्णु या शिव मंदिर नहीं होना चाहिए
  •  जैन मंदिर की छाया भवन के पीछे नहीं पड़नी चाहिए भवन के समीप दुर्गा और चंडी  का मंदिर भी नहीं होना चाहिए
 भवन के या प्लाट के समीप मुख्य द्वार के सम्मुख कीचड़ पूर्व उत्तर,या ईशान कोण में  बड़ी चट्टान या बड़ा पत्थर या बिजली का खंबा नहीं होना चाहिए

 नदी तालाब जलाशय द्वारा वेध 

 भवन या भूखंड के निकट दक्षिण या पश्चिम दिशा में समानांतर नदी, नहर ,नाला, पानी की टंकी,जलाशय आदि  नहीं होने चाहिए| लेकिन भवन के उत्तर या पूर्व दिशा में कोई नदी  या नहर हो तो कोई हानि नहीं है, पर यह ध्यान रखें की नदियां नहर का नल का जल प्रवाह (बहाव ) पश्चिम से पूर्व तथा दक्षिण से उत्तर की ओर हो भवन या  भूखंड के समीप ईशान एवं उत्तर के अतिरिक्त अन्य दिशाओं में जलाशय, कुआँ, हेंडपंप आदि नहीं होना चाहिए जलाशय की स्थिति के अनुसार फल इस प्रकार है 

जलाशय की स्थिति दिशा अनुसार ----------------------------फल 

1 पूर्व में -------------------------------------------------------------------पुत्र -हानि 
2 दक्षिण -पूर्व  आग्नेये----------------------------------------------------अग्निभय 
3 दक्षिण में ----------------------------------------------------------------शत्रुभय
4 दक्षिण पश्चिम में -------------------------------------------------------स्त्री कलह
5 पश्चिम में ---------------------------------------------------------------स्त्री दुष्ट हो जाये 
6 उत्तर पश्चिम वायव्य में -----------------------------------------------निर्धनता 
7 उत्तर में -----------------------------------------------------------------धनप्रद
8 उत्तर -पूर्व  ईशान में ----------------------------------------------------पुत्र वृद्धि 

 वृक्ष द्वारा वेध  

प्लाट या भवन के समीप बड़े व घने वृक्ष नहीं होने चाहिए द्वार के सम्मुख या पूर्व उत्तर की ओर तो कदापि  नहीं होने चाहिए| प्रातः कालीन सूर्य रश्मियों के प्रवेश में बाधा पहुँचाने वाले घने वृक्ष तो कदापि नहीं होने चाहिए दक्षिण में पाकर, पश्चिम में वट वृक्ष, उत्तर में गूलर ,पूर्व में पीपल शुभ होते हैं,
 सूर्य की प्रकाश रश्मियों में बाधक कोई भी वस्तु या भवन के समीप नहीं होना चाहिए
 जो भवन मठ या मंदिर सूर्य रश्मियों से वंचित रहती है वह अशुभ होती है उसे त्यागना चाहिए घर में स्थित कुआ  भी दूसरे व तीसरे प्रहर  की छाया से वंचित रहना चाहिए 

 शमशान कब्रिस्तान या मकबरा से वेध 

 भूखंड या भवन के पास पीछे या सामने शमशान कब्रिस्तान या मकबरा नहीं होना चाहिए, ऐसे प्लाट में भवन निर्माण का भवन में  वास वर्जित है|

द्वार वेध 

 प्लाट या बने भवन के मुख्य द्वार के सम्मुख किसी प्रकार के बाधा नहीं होनी चाहिए,कहने का तात्पर्य यह है की भवन के मुख्य द्वार के सामने पर पेड़ वृक्ष दीवार कोना खंबा खाई कुआं कीचड़ मंदिर या मंदिर की छाया कोई कब्र या लंबी गली या कोई अन्य बाधा  नहीं होना चाहिए| यदि हो तो भूमि  का भवन अशुभ और त्यागी है|
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