Vastu Tips- Mukhya Dwar Bedroom Balcony Kitchen
वास्तु शास्त्र का अर्थ
हिन्दू परिवार में अधिकतर लोग अपने घर को vastu के अनुसार ही बनाते है,घर बनाते समय हिन्दू संस्कृति में vastu का बहुत महत्त्व होता है और अगर घर बनाने में vastu का पूरा ध्यान रखते है तो घर की सुख शांति में और ख़ुशी परिवार रहता है
हर तरह से आपको सकारात्मक उर्जा का संचालन होता है!vastu शास्त्र एक ऐसा विज्ञानं है जो हमारे घर और कार्यस्थल पर सम्रद्धि ,मानसिक शांति ख़ुशी और सामजस्य दिलाने में मदद करता है,किसी जगह का vastu उस जगह के चारों और उपस्थित विभिन्न उर्जा को इस तरीके से कवच के रूप में पिरोता है की व्यक्ति को मानसिक शांति और सदभाव प्राप्त होता है
सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ पंचतत्व यानि पृथ्वी ,जल ,अग्नि,आकाश ,वायु इन पंचमहाभूत के महान कारक है ये सब एक दुसरे के पूरक घटक बनकर इनका संतुलन बिगड़ जाने पर भिन्न भिन्न प्रकार के विकार उत्पन्न होने लग जाते है, इन पंचमहाभूतों से एक सामजस्य बिठाकर हर तत्व को सही जगह पर लेकर मानव जीवन की परेशानियों और दुखों को समाप्त करता है
माना की घर की खुशियों की कुंजी vastu में छिपी होती है vastu का सही अर्थ है चारों दिशाओ से मिलने वाली उर्जा तरंगो का संतुलन
मुख्य द्वार -main gate
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मुख्य द्वार |
घर का एंट्रेंच यानी कि घर का मुख्य द्वार परिवार की समृद्धि का सूचक माना जाता है, इसलिए हमेशा घर के मुख्य द्वार को वास्तु के अनुसार बनाना चाहिए! घर में सुख, शांति ,समृद्धि, धन ,वैभव ,और खुशी के लिए मुख्य द्वार बनवाते समय वास्तु के कुछ नियमों का पालन करने से घर को नकारात्मक ऊर्जा से बचाया जा सकता है
- घर का मुख्य प्रवेश द्वार अन्य दरवाजा से ऊंचा और बड़ा होना चाहिए इसका आकार हमेशा घर के भीतर बन अन्य दरवाजा की तुलना में बड़ा होना चाहिए
- वास्तु अनुसार पूर्व तथा उत्तर दिशा में मुख्य द्वार बनाना बहुत ही शुभ होता है
- नेरुत्य और वावव्य कोण में घर का मुख्य द्वार नहीं बनना चाहिए
- यदि घर का मुख्य द्वार घर केअन्य दरवाजे से छोटा है और उसे बदलना संभव ना हो तो उसके आसपास एक ऐसी फॉक्स लाइट लगाई जिसका प्रकाश मुख्य द्वार और उसमे के प्रवेश करने वालों के चेहरे पर पड़े
- मुख्य प्रवेश द्वार अत्यंत सुभाषित होना चाहिए इसे प्रतिष्ठा बढ़ती है मुख्य द्वार पर तोरण बांधने से देवी देवता सारे काम निर्विघ्नं रूप से संपन्न करवा कर मंगल प्रदान करते हैं
- घर के दरवाजे जहां तक हो अंदर की ओर ही खुलना चाहिए बाहर की ओर खुलने वाले दरवाजे कार्य में बाधा व् धीरे -धीरे धन हानि कराते हैं
- दरवाजे स्वत: खोलने या बंद होने वाले नहीं होना चाहिए इसके अलावा खोलते व् बंद करते समय उनके किसी भी प्रकार की आवाज नहीं होनी चाहिए
- वास्तु अनुसार घर का मुख्य द्वार हमेशा दो पल्ले का होना चाहिए शुभ माना जाता है
- वास्तु अनुसार घर के प्रवेश द्वार के आसपास किसी तरह का कोई अवरोध होना शुभ नहीं माना जाता है जैसे बिजली के खंबे कोई कांटेदार पौधा आदि
- मुख्य द्वार के सामने कचरा या डस्टबिन नही रखें हमेशा प्रवेश द्वार के आसपास सफाई का पूरा ध्यान रखें
- मुख्य द्वार के पास तुलसी का पौधा रखने से वास्तु दोष दूर होते हैं और नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं क्र पाती
- वास्तु अनुसार घर के मुख्य दरवाजे के सामने ऊपर जाने के लिए सीढीया नहीं होनी चाहिए
- वास्तु के अनुसार घर के मुख्य द्वार के एक के बदले दो पल्ले वाला अधिक शुभ माना जाता है
- मुख्य द्वार त्रिकोण आकार गोलाकार वर्गाकार या बहुभुज की आकृति वाला नहीं बनना चाहिए
- वास्तु अनुसार घर का मुख्य द्वार लकड़ी का बना हो तो बहुत शुभ माना जाता है दरवाजा बनाते समय ध्यान रखें कि उसमें धातु का प्रयोग कम से कम हो जिससे घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है साथी घर द्वार का आकार आयताकार रखना चाहिए
वास्तु अनुसार घर का बेडरूम
बेडरूम हमारे घर का अहम हिस्सा होता है क्योंकि यहां हम आराम करते हैं और अपने निजी जीवन के कुछ अनुभव शेयर करते हैं पति पत्नी के सुखी दापत्य जीवन के लिए शयन कक्ष के vastu का सही होना बहुत जरूरी होता है चलिए जानते हैं शयनकक्ष से जुड़े कुछ वास्तु टिप्स
- वास्तु के अनुसार बेडरूम का आकार चौकोर या आयताकार होना चाहिए
- बेडरूम में सोते समय सर पूर्व या दक्षिण दिशा में रखा जाना चाहिए
- एक्वेरियम या असली पौधा को बेडरूम में नहीं रखे
- वास्तु अनुसार बेडरूम में पलंग के नीचे किसी भी तरह का सामान नहीं रखना चाहिए
- अलमारी और वार्डरोब बेडरूम की पश्चिम या दक्षिण दिशा में होना चाहिए
- शयनकक्ष में दरवाजे पूर्व पश्चिम में उत्तर की ओर होना चाहिए लेकिन दक्षिण पश्चिम की ओर नहीं होना चाहिए
- शयनकक्ष में बड़ी खिड़कियों को उत्तर या पूर्व में होना चाहिए जब भी छोटी खिडकिया को पश्चिम की ओर होना चाहिए
- शयनकक्ष की दीवारों के लिए आदर्श रंग गुलाबी नीला और हरा है शयनकक्ष की दीवारों के लिए चमकीले रंग का प्रयोग करने से बचे
- टेलीविजन सेट बेडरूम में नहीं रखा जाना चाहिए
- शयनकक्ष में ड्रेसिंग टेबल या दर्पण को पूर्व हुआ उत्तर और रक्खा जाना चाहिए
- युद्ध क्रूरता उदासी जंगली जानवरों की तस्वीर या किसी भी एकल पक्षी की तस्वीरको शयनकक्षमें नहीं रखना चाहिए
- अगर यदि शयनकक्ष में संलग्न एक बाथरूम है तो यह सुनिश्चित करें कि यह सीधे बिस्तर के सामने नहीं होना चाहिए तथा यह भी सुनिच्षित करले की bathroom का दरवाजा सभी समय बंद रहे
- पैसे और आभूषण रखने के लिए इस्तेमाल करने वाला लाकर शयनकक्ष के दक्षिण पश्चिम की और होना चाहिए उसका मुंह उत्तर दिशा की और होना शुभ होता है
- साथ ही बेडरूम के मुख्य द्वार की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए
- वास्तु शास्त्र के अनुसार बेडरूम में शीशा लगाना शुभ नहीं नहीं माना जाता है इससे पति-पत्नी को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती है
वास्तु अनुसार घर के बालकनी
- यदि आपका भवन पूर्व मुखी है तो बालकनी पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए ऐसे भवन में बालकनी दक्षिण या पश्चिम दिशा में कदापि नहीं बनाये
- पश्चिम मुखी भवन में बालकनी को उत्तर या पश्चिम दिशा में बनाना शुभ माना जाता है
- जिन लोगों का मकान उत्तर मुखी है उसमें बालकनी को पूर्व या उत्तर दिशा में हितकर रहता है यदि आपका भूखण्ड दक्षिण मुखी तो बालकनी तो पूर्व या दक्षिण दिशा में बनाना लाभप्रद साबित होता है
- बालकोनी का चयन हमेशा भवन के मुख के आधार पर ही करना चाहिए परंतु यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रातः कालीन की सकारात्मक ऊर्जा एवं प्रकाश का प्रवेश करके निर्बाध रूप से होता रहे
- वास्तु शास्त्र के अनुसारबालकनी में वाश बेसिन नहीं लगना चाहिए balcony से घर के सकारात्मक ऊर्जा आती है इसलिए बालकनी में इस तरह की चीज भूल कर भी नहीं लगानी चाहिए घर की बालकनी में किसी की तरह का फालतू व् अनावश्यक सामान नहीं रखना चाहिए जिससे घर के सदस्यों में तनाव की स्थिति बनी रहती है
- वास्तु के अनुसार बालकनी का आकार भी काफी महत्व रखता है कभी भी बालकनी के कर्व नहीं होना चाहिए
- वास्तु अनुसार पूर्व मुखी भवन होने पर बालकनी या उत्तर दिशा में होनी चाहिए
- यदि मकान उत्तर मुखी तो उसके बालकनी पूर्व दिशा बनाना चाहिए मकान होने पर बालकनी को पूर्व या उत्तर दिशा में होनी चाहिए
वास्तु अनुसार घर की रसोई किचन
- रसोईघर भवन या फ्लैट के दक्षिण पूर्व कोने में बनाये उत्तर पूर्व में रसोई मानसिक परेशानियां बढाता है! इसके दक्षिण पश्चिम में होने से जीवन कठिन हो सकता है
- रसोईघर शयनकक्ष,पूजाघर या शौचालय के पास नहीं होना चाहिए
- रशोई का दरवाजा यदि उत्तर पश्चिम में हो तो उत्तम रहता है दरवाजा चूल्हे के सामने नहीं हो इससे ऊर्जा स्वतंत्र रूप से अंदर प्रवेश नहीं कर पाती है चूल्हा का रखने का स्लेब पूर्व दिशा की ओर हो ताकि खाना पकाने वाले का मुंह पूर्व दिशा की ओर रहे
- गैस चूल्हा ऐसी जगह रखे जिससे बाहर से आने वाली रोशनी प्राप्त मात्रा में मिल सके
- माइक्रो ओवन में लगातार बिजली का प्रभाव होता रहता है इसलिए दक्षिण पूर्व में रखें इसको दक्षिण दिशा में भी रख सकते हैं यह क्षेत्र शक्ति और संबंध का प्रतीक है संबंधों में सुधार की दृष्टि से यह हितकर है
- रसोई घर का फ्रिज पश्चिमी क्षेत्र में रखे यहा पर यह सम्पन्नता वह संबंध मजबूत बनाने में सहायक करता है शांति और विविधता में भी वृद्धि होगी
- रसोई घर में पानी तथा चूल्हा आवश्यक तत्व है जहाँ आग का स्थान दक्षिण-पूर्व है वही पानी का स्थान उत्तर पूर्व है पानी का उत्तम स्थान उत्तर दिशा है जल तत्व को दर्शाती है आग और पानी को एक लाइन में न रखे ऐसा यदि सम्भव न हो तो हो बीच में 2 फीट की दीवार लगा दे
- रसोई घर की प्रदूषित वायु और धुंए को बाहर निकालने के लिए एग्जास्ट पंखा लगाते हैं इसे पूर्व उत्तर या पश्चिम दिशा में लगाये
- रसोई घर में भारी बर्तन जैसे सिलबट्टा मिक्सी आदि वस्तुए दक्षिण की दिवार की ओर रखना चाहिए
- रसोई घर के दक्षिण -पश्चिम भाग में गेहूं आटा चावल अनाज आदि रखने से बरकत की वृद्धि होती है